
Archive

जब भी कोई ज़मीन की बात करता है तो इसपर खींची अनगिनत सरहदें दिखाई देने लगती है। दूर तक एक एक सरहदों में बंटी हुई जिंदगी, सिमटे हुए दायरों में बस ऐसे देखते नज़र आते हैं जैसे आँखों में अपना सा कोई बाक़ी ही न हो। आंखों का रंग बेगानी महसूसियत से बेजान पड़ता जाता है। तब दिल ढूंढने लगता है, ज़मीन का वो हिस्सा जिसे अपना कह सकें, जिसे कह सके दिल की बातें, जिस पर कर सके भरोसा, जो अपनाए हमें हमारे रंग में, हमारे होने में। वो ज़मीन है गुलाबी ज़मीन, बस इस ज़मीन को देखने के लिए लेनी होती है एक गहरी सांस और फिर ये गुलाबी ज़मीन दिखाई देता है अपना सा, अपना।
बिहार के चढ़ुआं गांव से निकलकर भोपाल, पटना, दिल्ली जैसे शहरों में अलग अलग लोगों से मिलना हुआ। कहीं कहीं ख़ुद के बिहारी होने की पहचान भी बताने में झिझक हुई ताकि कोई जज न कर ले। कमतर न बता दे। कहीं कहीं हिन्दी के स और श की दिक्कत में फंसें तो पहचान को कमतर बता दिया। कहीं स्वयं की जाति को किसी के जानने का डर सताता रहा। फिर सोचता रहा और कुछ साथियों से मिला जहां पूरी ज़िंदगी ही पहचान की और उसके स्वयं को अपनाने की जद्दोजहद मिली। फिर एहसास हुआ कि ख़ुद का आईना ही है दूसरी शक्ल में।
हमें ख़ुद के पहचान को स्वीकार करने के लिए जिस हौसले की ज़रूरत होती है वैसे ही कुछ दोस्त, कुछ साथी मिल जाते हैं। जब कभी पेड़ों के काटने, बिन मौसम बरसात और जला देने वाली धूप में लोगों को देखा और ख़ुद भी जब इसकी गवाही हुआ तब समझ आया कि सूरज के जलाने से कैसे अलग अलग रंग भी झुलस जाते हैं। लेकिन यह रंग दूर कहीं आसमान में देखने वालों को दिखाई नहीं देती। क्योंकि दूर से कुछ लोगों को बहुत से रंग दिखाई नहीं देते।
इन सभी ज़िंदगी के पहलुओं को देखने की नज़र है गुलाबी नज़र जहां मेरी नज़र में शामिल हुआ है, बदलते मौसमों से बदलने वाले रंग। सारे बदलावों को समझने का ढंग।
ABOUT THE WRITER Sunny Kumar, known by his pen name Bozo, is a poet, storyteller, and facilitator passionate about blending creativity with social change. He designs and conducts workshops on poetry, perception, and gender sensitivity, working with diverse groups including children, artists, and police officers. Founder of Chadhua Study Lab, he engages young minds through art and cinema, nurturing critical thinking and imagination. His show Daastaan-E-Maati reflects his deep connection with culture, identity, and grassroots realities. Having collaborated with Bihar Police on gender-based violence programs, Sunny continues to create spaces for dialogue, care, and collective learning.